15+ Poems On Friendship in Hindi दोस्ती पर कविताएं
दोस्ती जीवन का एक अनमोल रत्न है, जो हमारे जीवन को समृद्ध और सार्थक बनाती है। “दोस्ती पर कविताएं” (Poems On Friendship in Hindi) का यह विशेष संग्रह आपके लिए प्रस्तुत है, जिसमें मित्रता के विभिन्न पहलुओं और अनुभवों को व्यक्त करने वाली कविताएँ शामिल हैं। इस संकलन में दोस्ती की मिठास, विश्वास, समर्पण और साथ निभाने की भावना को दर्शाने वाली कई सुंदर कविताएँ हैं। ये कविताएँ विभिन्न कवियों द्वारा रची गई हैं और मित्रता की गहराई को सरल और प्रभावशाली शब्दों में व्यक्त करती हैं। यदि आप जीवन के अन्य पहलुओं पर कविताएँ पढ़ना चाहते हैं, तो आप जीवन पर कविताएँ हिंदी में या प्रेरणादायक कविताएँ हिंदी में भी देख सकते हैं। इसके अलावा, प्रेम कविताएँ हिंदी में भी आपको पसंद आ सकती हैं। आइए, इन कविताओं के माध्यम से दोस्ती की सुंदरता और महत्व का अनुभव करें।
Best Friendship Poems in Hindi | दोस्ती पर कविताएं
Here we have the 15+ Poems On Friendship in Hindi | दोस्ती पर कविताएं.
- दोस्ती | सुशीला सुक्खु
- दोस्ती जब किसी से की जाये | राहत इन्दौरी
- हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है | मुनव्वर राना
- ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे | आनंद बख़्शी
- हाथ में आया जो दामन दोस्ती का | वर्षा सिंह
- कभी दोस्ती के सितम देखते हैं | पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
- दोस्ती अपनी कभी टूटे नहीं | मृदुला झा
- अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना | बालस्वरूप राही
- दोस्तों की दोस्ती और घात से गुज़रे | अशोक आलोक
- सिलसिला ये दोस्ती का | अश्वघोष
- दुश्मनी मुमकिन है लेकिन दोस्ती मुमकिन नहीं | प्राण शर्मा
- दोस्त | रविकान्त
- आओ हम भी करें दोस्ती | दिविक रमेश
- दोस्ती की चाह | जीत नराइन
- दोस्ती किस तरह निभाते हैं | कविता किरण
- बिछड़े दोस्त के लिए | अंजू शर्मा
- दोस्ती पर कुछ तरस खाया करो | ओम प्रकाश नदीम
1. दोस्ती | सुशीला सुक्खु
प्यार को मत समझो पूरा
उसका पहला अक्षर ही है अधूरा
अगर करना है सच्चा प्यार
तो बन पहले एक दूसरे का यार।
दोस्ती हर बन्धन से मजबूत होती है
दोस्ती मन का सम्बन्ध होती है
जिसमें स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है।
दुनिया में हर रिश्ते-नाते
समय के साथ बदलते हैं
मगर सच्ची दोस्ती उम्र भर चलती है।
सच्ची दोस्ती में हर एक रिश्ता मिल जाता है
मगर
हर रिश्ते में दोस्ती नहीं मिलती।
दोस्ती
दो के बीच समता और एकता
जो सुख दुख में भी निभाया जाता।
सच्ची दोस्ती में न दूरी
न नजदीकी है जरूरी
हर हाल में पक्की बनी रहती है
जो करते हैं
वे समझें मेरी बात
न मोहब्बत, न इजहार
पहले दोस्ती करो
फिर प्यार।
2.दोस्ती जब किसी से की जाये | राहत इन्दौरी
दोस्ती जब किसी से की जाये|
दुश्मनों की भी राय ली जाये|मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,
अब कहाँ जा के साँस ली जाये|बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाये|मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे,
आज फिर कोई भूल की जाये|बोतलें खोल के तो पी बरसों,
आज दिल खोल के भी पी जाये|
3.हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है | मुनव्वर राना
हमारी दोस्ती से दुश्मनी शरमाई रहती है
हम अकबर हैं हमारे दिल में जोधाबाई रहती हैकिसी का पूछना कब तक हमारे राह देखोगे
हमारा फ़ैसला जब तक कि ये बीनाई रहती हैमेरी सोहबत में भेजो ताकि इसका डर निकल जाए
बहुत सहमी हुए दरबार में सच्चाई रहती हैगिले-शिकवे ज़रूरी हैं अगर सच्ची महब्बत है
जहाँ पानी बहुत गहरा हो थोड़ी काई रहती हैबस इक दिन फूट कर रोया था मैं तेरी महब्बत में
मगर आवाज़ मेरी आजतक भर्राई रहती हैख़ुदा महफ़ूज़रक्खे मुल्क को गन्दी सियासत से
शराबी देवरों के बीच में भौजाई रहती है
4.ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे | आनंद बख़्शी
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगेऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार
सुन ऐ मेरे यार
तेरा ग़म मेरा ग़म तेरी जान मेरी जान
ऐसा अपना प्यार
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
सारी ज़िन्दगी
ये दोस्ती …लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर
ऐसा तो नहीं
हों जुदा या ख़फ़ा ऐ खुदा दे दुआ
ऐसा हो नहीं
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
सबसे दुश्मनीये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे
5. हाथ में आया जो दामन दोस्ती का | वर्षा सिंह
हाथ में आया जो दामन दोस्ती का
हो गया जारी सफ़र फिर रोशनी काचल पड़े, कल तक जो ठहरे थे क़दम
रास्ता फिर मिल गया है ज़िन्दगी कासाथ गर यूँ ही निभाते जाएँगे
बुझ न पाएगा दिया ये आरती काचाहतों का चित्र यूँ आकार लेगा
रंग भरना तुम वफ़ा का, सादगी काहीर-रांझा, कृष्ण-मीरा, मेघ-‘वर्षा’
प्यार से रिश्ता पुराना बंदगी का ।
6. कभी दोस्ती के सितम देखते हैं | पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’
कभी दोस्ती के सितम देखते हैं
कभी दुश्मनी के करम देखते हैंकोई चहरा नूरे-मसर्रत से रोशन
किसी पर हज़ारों अलम देखते हैंअगर सच कहा हम ने तुम रो पडोगे
न पूछों कि हम कितने गम देखते हैंगरज़ उउ की देखी, मदद करना देखा
और अब टूटता हर भरम देखते हैंज़ुबाँ खोलता है यहां कौन देखें
हक़ीक़त में कितना है दम देखते हैंउन्हें हर सफ़र में भटकना पडा है
जो नक्शा न नक्शे-क़दम देखते हैंयूँ ही ताका-झाँकी तो आदत नहीं है
मगर इक नज़र कम से कम देखते हैंथी ज़िंदादिली जिन की फ़ितरत में यारों !
‘यक़ीन’ उन की आँखों को नम देखते हैं
7. दोस्ती अपनी कभी टूटे नहीं | मृदुला झा
दोस्ती अपनी कभी टूटे नहीं,
साथ अपनों का कभी छूटे नहीं।लहलहाते पौध हैं हम हिन्द के,
गैर कोई यह चमन लूटे नहीं।लाख शिकवा है मुझे उनसे मगर,
ये दुआ है आसरा छूटे नहीं।चँद तनहा घूमता आकाश में,
हैं सितारों के कहीं बूटे नहीं।जुल्म और आतंक का यह जलजला,
कुफ्र बनकर फिर कभी फूटे नहीं।जुस्तजू उनकी सदा दिल में रही,
प्यार के एहसास भी झूठे नहीं।बेमुरौवत बेवफा तो हम नहीं,
तुम भी कह सकते हो हम झूठे नहीं।
8. अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना | बालस्वरूप राही
अचानक दोस्ती करना, अचानक दुश्मनी करना
ये उसका शौक है यारों सभी से दिल्लगी करनासभी जज़्बात को दीवानगी की हद समझते हैं
ये ऐसा दौर है इसमें सँभल कर शायरी करनाअँधेरे आँधियाँ बनकर चिरागों को बुझाते हैं
बड़ा मुश्किल है दुनिया में ज़रा सी रौशनी करनाखिजाएँ ढूँढती फिरती हैं बाग़ों में बहारों को
न लब पर फूल महकाना, न आँखें शबनमी करनावफ़ा के नाम पर ‘राही’ चलन है बेवफ़ाई का
न इसके नाम अपनी रूह की कोई ख़ुशी करना
9.दोस्तों की दोस्ती और घात से गुज़रे | अशोक आलोक
दोस्तों की दोस्ती और घात से गुज़रे
ज़िन्दगी के खुरदरे हालात से गुज़रेख्वाब की कलियां सजाए आशियाने में
धूप ऑंखों में लिए बरसात से गुज़रेएक लम्हा चैन का उस ज़िन्दगी में क्या
थरधराते होंठ के जज़्बात से गुज़रेजुर्म के सारे फ़साने सामने आए
जब भी बेबस की सुलगती बात से गुज़रेसाफ चेहरा वक्त का जी भर तभी देखा
ज़िन्दगी के खेल में जब मात से गुज़रेफ़िक्र के साये में जीने का सबब है क्या
क्या पता है आपको किस बात से गु्ज़रे
10. सिलसिला ये दोस्ती का | अश्वघोष
सिलसिला ये दोस्ती का हादसा जैसा लगे
फिर तेरा हर लफ़्ज़ मुझको क्यों दुआ जैसा लगे।बस्तियाँ जिसने जलाई मज़हबों के नाम पर
मज़हबों से शख़्स वो इकदम जुदा जैसा लगे।इक परिंदा भूल से क्या आ गया था एक दिन
अब परिंदों को मेरा घर घोंसला जैसा लगेघंटियों की भाँति जब बजने लगें ख़ामोशियाँ
घंटियों का शोर क्यों न ज़लज़ला जैसा लगे।बंद कमरे की उमस में छिपकली को देखकर
ज़िंदगी का ये सफ़र इक हौसला जैसा लगे।
11. दुश्मनी मुमकिन है लेकिन दोस्ती मुमकिन नहीं | प्राण शर्मा
दुशमनी मुमकिन है लेकिन दोस्ती मुमकिन नहीं
दिलजलों से प्यार वाली बात ही मुमकिन नहींयूँ तो उगती हैं हजारों लकड़ियाँ संदल के साथ
ख़ुशबुएँ हर एक की हों संदली मुमकिन नहींभूल जाऊं हर निशानी आपकी मुमकिन है पर
भूल जाऊं मेहरबानी आपकी मुमकिन नहींदेखने में एक जैसे ही सही सारे मकान
हर मकाँ में एक जैसी रोशनी मुमकिन नहींमाना ,ले के आया हूँ मैं एक विनती राम जी
ये मेरी विनती हो तुम से आख़री मुमकिन नहींपेड़ के ऊपर छिटकती है हमेशा चांदनी
पेड़ के नीचे भी छिटके चांदनी मुमकिन नहींमुस्कराने वाली कोई बात तो हो दोस्तों
बेवजह ही मुस्कराऊँ हर घड़ी मुमकिन नहीं
12. दोस्त | रविकान्त
मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता था,
तुम मुझे परख रहे थे
मैंने खुद को छोड़ दिया था,
परखा जाने के लिएकाफी समय लगा
तुम मुझमें भी कुछ देख पाए
मेहनत की मैने भी काफी
अपने भीतर
कुछ तो भी पैदा करने के लिएमैं ऐसी हजार बातों पर चुप रहा
जिनसे बिगड़ सकता था अपना मेल
तुम्हारी हजार बातों का मुरीद हुआ मैंहम दोनों की दोस्ती यों ही नहीं हो गई
हमें आगे बढ़ना पड़ा
वहाँ से
जहाँ हम खड़े थे
13. आओ हम भी करें दोस्ती | दिविक रमेश
आओ हम भी करें दोस्ती
जैसे स्टेशन और रेल की
आओ हम भी करें दोस्ती
जैसी अपनी और खेल की।कहानी और कविता वाली
पुस्तक भी तो कितनी प्यारी
जी करता है पुस्तक से भी
करें दोस्ती प्यारी प्यारी।एक सीक्रेट चलो बताएं
टीचर जी भी दोस्त हमारी
साथ खेलतीं हमेँ पढ़ातीं
कितनी अच्छी दोस्त हमारी।नहीं जानते अरे दोस्ती
चॉकलेट सी क्यों है लगती
सच्ची सच्ची अरे दोस्ती
हमें केक सी मीठू लगती।कितना मजा हमारा होता
अगर दोस्त तारे बन जाते
उनके जन्मदिनों पर जाकर
ढ़ेर खिलौने हम दे आतेक्यों मन करता सब बच्चों से
करें दोस्ती प्यारी प्यारी
क्योँ मन करता कभी किसी से
हो कुट्टी न कभी हमारी।
14. दोस्ती की चाह | जीत नराइन
कब फिर कन्धा पर हाथ धरके, अकेले में अपने से सटके
गड्ढ़ा-गड्ढ़ा मेढ़ी पेटी झलासी, पेड-पेड़
उ दोस्ती के याद करके, याद में दोहराई।बचपन के कै बात तो भूल गैली, कतने ख्याल से भी उतर गाल
भूल ना जा की बचपना बीत गैल, छोड़ के याद के ढंग
करे में सपरे जैसे।साथ में चलो तो बीच से बाइसिकिल पास हो जाए
अटपट लगे कि देहीं, देहीं से छुवाए
बचाइके हमलोग चलीला अलगीयाए।बकी अपने से दोस्ती पे किट के दाग फैलल है,
चद्दर पुराना है हीलाके झार दे, विसय दोस्ती के है
ते दाग में लड़कपन के रूप होई।जौन दोस्ती में लड़कपन के लक्ष्यवाइ तक भी ना,
जौन चीज में बचपना ना,
आकेरे जड़ में करारी और पुनइ में वादा पले है
ओमे अपने में भेंट करे खात जगह खोजे के पड़े है।
15. दोस्ती किस तरह निभाते हैं | कविता किरण
दोस्ती किस तरह निभाते हैं,
मेरे दुश्मन मुझे सिखाते हैं।नापना चाहते हैं दरिया को,
वो जो बरसात में नहाते हैं।ख़ुद से नज़रें मिला नही पाते,
वो मुझे जब भी आजमाते हैं।ज़िन्दगी क्या डराएगी उनको,
मौत का जश्न जो मनाते हैं।ख़्वाब भूले हैं रास्ता दिन में,
रात जाने कहाँ बिताते हैं।
16. बिछड़े दोस्त के लिए | अंजू शर्मा
अगर मैं कह दूँ कि हम आम दोस्त थे
तो ये वाक्य सच्चाई से उतना ही दूर होगा
जितनी दूरी थी हमारे कदमों के बीच
इस दूरी का कारण कुछ भी हो सकता है
शायद इसलिए कि तुम्हारे और मेरे
सपनों की मंज़िलें कुछ और थीं,
या शायद इसलिए कि तुम तुम थे,
और मैं मैं,पर ये भी हकीकत है कि
एक अनजान रिश्ते में बंधे होने के बावजूद
किसी अँधेरी सड़क पर लड़खड़ाते हुए
मैंने नहीं हाथ थामा कभी तुम्हारा हाथ
हालांकि तुम्हारे हाथों ने सदा ही थामी थी
मेरी परेशानियाँ, मेरी मुश्किलेंऔर बेसाख्ता मेरे कंधे से
गिरते शाल को सँभालने
कभी तुमने भी नहीं बढ़ाई अपनी बाजू
इसके बावजूद हम दोनों जानते थे कि
सिर्फ एहतियातन होता था,यूं मेरे हर कदम के ठीक आगे
मौजूद थी हमेशा
तुम्हारी अदृश्य हथेली,
मैंने कभी स्नेह को शब्द मानकर
नहीं गिने उसके हिज्जे
वरना
ये ठीक तुम्हारे नाम के बराबर होते
और दोस्ती को अगर जिंदगी के
तराज़ू में तोला जाता तो
उसका वजन ठीक तुम्हारी मुक्त हंसी के
बराबर होतातुम्हारे बैग को गर कभी टटोला जाता
तो आत्मीयता, परवाह और अपनेपन के
खजाने की चाबी का हाथ लगना
तय ही तो था,
पर दोस्ती के इस खुशनुमा सफर
में नहीं था कोई भी ऐसा स्टेशन
जिसका नाम प्रेम होता,फिर एक दिन दोस्ती और प्यार
समानार्थी शब्द से प्रतीत
होने लगे तुम्हारे और दुनिया के लिए
प्रेम की राह पर आगे बढ़ चुके
जब तुम लिख रहे थे…प्यार…प्यार…
मैंने मुस्कुराते हुये लिखा
अपने रिश्ते की किताब पर
कि दोस्ती का अर्थ सिर्फ दोस्ती होता है
और बढ़ गयी आगे अपनी मंज़िल की ओर…
17. दोस्ती पर कुछ तरस खाया करो | ओम प्रकाश नदीम
दोस्ती पर कुछ तरस खाया करो ।
बेज़रूरत भी कभी आया करो ।सोचो मैंने क्यों कही थी कोई बात,
हू-ब-हू मुझको न दोहराया करो ।रोशनी के तुम अलमबरदार हो,
रोशनी में भी कभी आया करो ।बर्फ़ होता जा रहा हूँ मैं ’नदीम’
मेरे ऊपर धूप का साया करो ।
“दोस्ती पर कविताएं” (Poems On Friendship in Hindi) का यह संग्रह हमें मित्रता के अनमोल रिश्ते की याद दिलाता है। ये कविताएँ न केवल दोस्ती की सुंदरता को दर्शाती हैं, बल्कि इसकी महत्ता और जीवन में इसके योगदान को भी समझने में मदद करती हैं। दोस्ती की इन कविताओं को पढ़कर हम महसूस कर सकते हैं कि कैसे एक सच्चा मित्र हमारे जीवन को खुशहाल और सार्थक बनाता है। यदि आप और अधिक भावनात्मक कविताएँ पढ़ना चाहते हैं, तो माँ पर कविताएँ हिंदी में और बारिश पर कविताएँ हिंदी में आपको पसंद आ सकती हैं। हम आपसे आग्रह करते हैं कि अगर आपको यह संग्रह पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें। अंत में, याद रखें कि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हमें जीवन की हर परिस्थिति में साथ देता है और हमारे व्यक्तित्व को निखारता है। इन कविताओं को पढ़कर आप न केवल दोस्ती की गहराई को समझेंगे, बल्कि अपने मित्रों के प्रति कृतज्ञता भी महसूस करेंगे।